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✦ अभ्यास ✦
1. प्रश्नों के उत्तर दीजिए :(1) हामिद ने चिमटा ही क्यों खरीदा ?
उत्तर - 1 : हामिद के सारे साथी मेले में जब मिठाइयां और खिलौने खरीद रहे थे तब हामिद को एक लोहे की दुकान पर चिमटा दिखाई दिया। उसने सोचा कि दादी के पास चिमटा ना होने की वजह से रोटियां उतारते समय उनकी उंगलियां जल जाती है, तो क्यों ना मैं दादी के लिए चिमटा ले लूं। चिमटा देखकर दादी प्रसन्न भी होगी और एक काम की चीज भी हो जाएगी। ऐसा सोच कर पैसों की बर्बादी होने से बचाकर हामिद ने चिमटा खरीद लिया।
(2) चिमटा खरीदने के लिए हामिद कौन से कारण बताता है ?
उत्तर - 2 : जब सारे साथी अपने अपने खिलौने बता रहे थे तब हम हामिदने भी अपने चिमटे को बड़ा खिलौना कहकर गर्व के साथ अपने साथियों को बताया। हामिद ने कहा की इसे कंधे पर रखे तो यह बंदूक हो जाएगा। हाथ में लेने पर फकीरों का चिमटा हो जाएगा। यदि वह एक चिमटा जमा दे तो सभी के खिलौनों की जान निकल जाए। चिमटे से मंजीरे का काम भी लिया जा सकता है। उसका चिमटा तो बहादुर शेर की तरह है। वह आग पानी में, आंधी तूफान में बराबर डटा रहेगा। इस प्रकार हामिद ने चिमटा खरीदने के लिए कई कारण बताएं।
(3) बूढ़ी अम्मा का क्रोध स्नेह में क्यों बदल गया ?
उत्तर - 3 : हामिद ने जब बुड्ढी अम्मा को चिमटा दिखाया तब अम्मा को बहुत दुख हुआ। उसे हामिद की नासमझी पर क्रोध भी आया। हामिद ने दादी से कहा कि रोटियां पकाते समय तुम्हारी उंगलियां जल जाती थी इसीलिए मैं चिमटा लाया हूं। यह सुनकर बुड्ढी अम्मा का क्रोध प्यार में बदल गया। हामिद के त्याग, सदभाव और विवेक पर वह खुश हो गई।
(4) अब आप चिमटे के प्रयोग की तरह रुमाल के विविध प्रयोग बताइए।
उत्तर - 4 : रुमाल के हाथ, मुंह और पसीना पोछने के अलावा अन्य उपयोग भी है। जैसे तेज धूप में उसे सिर पर बांध सकते हैं। ठंड में कान ढक सकते हैं। हल्की बारिश में कई हद तक भीगने से बचा सकता है। बाजार से खरीदा हुआ थोड़ा बहुत सामान भी थैली ना होने पर रुमाल में बांध कर ला सकते हैं। रुमाल से जादू के कई प्रयोग भी किए जाते हैं।
2. इस कहानी का शीर्षक ‘ईंदगाह’ ही क्यों रखा गया ? इसके अलावा आप कौन-सा शीर्षक देना चाहेंगे ? क्यों ?
उत्तर - 2 : ईद की नमाज ईदगाह में ही पढ़ी जाती है। ईदगाह जाने से पहले बड़े बूढ़े और बच्चे नए कपड़े पहन कर ईदगाह जाने के लिए तैयारी करते हैं। ईदगाह जाने का सबसे अधिक उत्साह लड़कों में ही है। हामिद उनमें से ही एक लड़का है। ईद की नमाज के बाद सारे नमाजी गले मिलकर भ्रातृभाव व्यक्त करते हैं। नमाज के बाद सारे लड़के ईदगाह के मेले में जाते हैं। मेले में बालको की कई मनोवृतियो के दर्शन होते हैं। इस कहानी के मुख्य पात्र हामिद के चरित्र की अनेक विशेषताएं मेले में प्रकट होती है। इस प्रकार कहानी की मुख्य प्रवृत्तियों का केंद्र ईदगाह होने से इस कहानी का शीर्षक ईदगाह रखा गया है।
ईदगाह के अलावा में कहानी के ये अन्य शीर्षक देना चाहूंगा : ‘हामिद का चिमटा’, ‘हामिद का सदभाव’
3. निम्नलिखित परिच्छेद को पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
हमारे इतिहास और पुराणों में परोपकार के अनेक उदाहरण मिलते हैं। दधीचि ने मानव कल्याण तथा असुरों के संहार के लिए अपना शरीर त्याग दिया। राजा शिबि ने पंडूक के प्राण की रक्षा के लिए अंग दान किए महर्षि दयानंद ने विष मिलाकर प्राण लेनेवाले अपने रसोइए जगन्नाथ के प्राणों की रक्षा धन देकर की। वर्तमान में भी अनेक सामाजिक संस्थाएँ परोपकार के लिए अपना धन और समय भारतीय समाज को दे रही हैं। भारतीय समाज में युगों से परोपकार की सुरसरि प्रवाहित होती आई है। यहाँ ऋषि-मुनियों ने यही सीख दी है कि, निराश्रितों को आसरा दो। दीन-दुखियों और वृद्धों की शारीरिक और आर्थिक मदद करो। भूखों को भोजन करवाओ। विद्वान हो तो विद्या का प्रचार कर समाज का उद्धार करो। यहाँ सदा सबकी भलाई में ही अपनी भलाई मानी जाती रही है। संसार के सभी धर्मों का मूल परोपकार है। किसी भी संत-महात्मा ने इसके बिना मनुष्य जीवन को सार्थक नहीं माना। लोग परोपकार के लिए ही औषधालय, गौशालाएँ और धर्मशालाएँ बनवाते हैं। सभी अपनी सामर्थ्य और शक्ति के अनुसार परोपकार करते रहें तो समाज एवं देश की उन्नति होती रहेगी तथा 'वसुधैव कुटुंबकम्' की भावना फैलेगी।
प्रश्न :(1) ऐतिहासिक ग्रंथों में पपोपकार के कौन-कौन से उदाहरण मिलते हैं ?
उत्तर - 1 : ऐतिहासिक ग्रंथों में परोपकार के कई उदाहरण हैं :
1. महर्षि दधीचि ने मानव कल्याण तथा असुरों के विनाश के लिए अपना शरीर त्याग दिया था।
2. राजा शिवि ने अपने अंग का दान देकर एक कबूतर के प्राण बचाए थे।
3. महर्षि दयानंद ने विष मिलाकर प्राण लेनेवाले रसोइए जगन्नाथ की जान धन देकर बचाई थी।
(2) ऋषि-मुनियों ने हमें क्या सीख दी है ?
उत्तर - 2 : ऋषि-मुनियों ने हमें यह सीख दी है कि जो मानव बेघर हैं उन्हें आसरा दे। दीन-दुखियों और वृद्धों की शारीरिक और आर्थिक मदद करें। भूखों को भोजन कराएं। यदि हम विद्वान है तो विद्या का प्रचार कर समाज का उद्धार करें।
(3) देश एवं समाज की उन्नति किस प्रकार होगी ?
उत्तर - 3 : यदि सभी अपनी सामर्थ्य और शक्ति के अनुसार परोपकार करते रहे तो समाज एवं देश की उन्नति होती रहेगी।
(4) विलोम शब्द लिखिए: आश्रित, अवनति
उत्तर - 4 : आश्रित × अनाश्रित, अवनति × उन्नति
(5) परिच्छेद के आधार पर अपने साथियों से पूछने के लिए तीन प्रश्न बनाइए।
उत्तर - 5 : 1. भारतीय समाज में युगो से क्या प्रवाहित होती रही है ?
2. सभी धर्मों का मूल क्या है ?
3. परोपकार के लिए लोग क्या-क्या करते हैं ?
(6) इस परिच्छेद को उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर - 6 : उचित शीर्षक – ‘गरिमा परोपकार की’
4. तुम भी हामिद की तरह किसी न किसी मेले में गए होगे, वहाँ तुमने क्या-क्या खरीदा और क्यों ?
उत्तर - 4 : हमारे गांव से एक किलोमीटर की दूरी पर पंचनाथ मंदिर स्थित है। हर साल अगस्त की शुरुआत में वहां मेला लगता है। पिछली बार मैं भी अपने मित्रों के साथ इस मेले में गया था। मेले में तरह-तरह की नाश्ते की दुकानें और खिलौने की दुकानें थीं। मेरे पास ज्यादा रुपए नहीं थे और समझ भी नहीं आ रहा था कि मैं क्या लूं। फिर सोचा कि कोई जरूरत की चीज ही ले लेता हूं।
ठंडी के दिन चल रहे थे। शहरों के मुकाबले गांव में ठंडी ज्यादा लगती है। मां को सवेरे जल्दी उठकर काम करना होता है। मां के पास पैर में पहनने के लिए मौझे नहीं थे। ठंड की वजह से मां के पैर की एड़ियाँ बहुत ज्यादा फट जाती थीं। तो मैंने सोचा क्यों ना मां के लिए पैर के मोजे ले लूं। तो मैंने मां के लिए दो जोडे मौझे ले लिए।
पूरा दिन मेले में घूम कर शाम को हम सब घर लौटें। मैंने मां को मौझे दिए। मौझे देखकर मां बहुत खुश हुई और खुशी से रो पड़ी। पिताजी और दादाजी भी मेरी इस बात से खुश हुए।
5. यदितुम्हें मेले से अपनी दादी के लिए कुछ खरीदना हो तो कया खरीदोगे और क्यों ?
उत्तर - 5 : यदि मुझे मेले में से अपनी दादी के लिए कुछ खरीदना हो तो मैं दादी के लिए माला खरीदूंगा। क्योंकि दादी के पास जो माला है वह कई बार टूट चुकी है। दादी टूटी हुई माला में मोती फिर से जोड़कर इस्तेमाल कर रही है। माला में से थोड़े बहुत मोती भी कम हो गए है। माला होते हुए भी उन्हें गिनती याद रखनी पड़ती है। इस वजह से माला जपने में दादी को परेशानी होती है। तो मैंने अपनी दादी के लिए एक माला खरीदूंगा। दादी को नई माला की जरूरत है। इसीलिए नई माला देखकर दादी बहुत खुश होंगी।
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✦ स्वाध्याय ✦
1. प्रश्नों के उत्तर लिखिए :(1) रोजे के दिन मुसलमान क्या करते हैं ?
उत्तर - 1 : रोजे के दिन मुसलमान सूर्योदय से सूर्यास्त तक कुछ खाए और पिए बिना उपवास रखते हैं। उसे ‘रोजा’ कहते हैं।
(2) रमजान ईद के दिन मुसलमान लोग कहाँ जाते हैं ?
उत्तर - 2 : रमजान ईद के दिन सवेरे मुसलमान नए कपड़े पहन कर ईद की नमाज पढ़ने ईदगाह जाते हैं।
(3) दुकानों में कौन-कौन से खिलौने मिल रहे थे ?
उत्तर - 3 : दुकानों में सिपाही, गुजरिया, राजा, वकील, भिस्ती, धोबिन आदि मिट्टी के खिलौने मिल रहे थे।
2. पेन्सिल में लिखित शब्दों के समानार्थी और विरोधी शब्द लिखिए:
शब्द -> शीतल | प्रसन्न | गरीब | अंधकार | स्नेह | पुरानी
उत्तर - 2 : शीतल = समानार्थी → ठंडा, विरोधी → उष्ण
प्रसन्न = समानार्थी → खुश, विरोधी → दुःखी
गरीब = समानार्थी → दीन, विरोधी → अमीर
अंधकार = समानार्थी → अंधेरा, विरोधी -> प्रकाश
स्नेह = समानार्थी → प्रेम, विरोधी → घृणा
पुरानी = समानार्थी → प्राचीन, विरोधी → नयी
3. मुहावरों का अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
बेड़ा पार लगाना, बाल बाँका न होना, छाती पीट लेना, दिल चीरना
उत्तर - 3 : बेड़ा पार लगाना,
अर्थ - संकट से बचाना
वाक्य - ईश्वर ही सब का बेड़ा पार लगाता है।
बाल बाँका न होना,
अर्थ - जरा भी नुकसान ना होना
वाक्य - चोरों ने आधी रात को घर में घुसकर हमला किया पर किसी का भी बाल बांका न हुआ।
छाती पीट लेना,
अर्थ - दुःख प्रकट करना
वाक्य - बेटा गुस्से में आकर घर छोड़ चला गया तो माँ ने छाती पीट ली।
दिल चीरना
अर्थ - बहुत दुख पहुंचाना
वाक्य - बेटी के ससुराल वालों की बुरी हरकत ने माँ का दिल चीर दिया।
4. रूपरेखा के आधार पर कहानी पूर्ण कीजिए :
एक नगर में दो स्त्रियाँ - एक ही बालक के लिए दावेदार - आपस में तकरार - मामला न्यायाधीश के समक्ष - दोनों की बातें सुनना - न्याय करना - बालक के दो टुकड़े करके बाँट लो - एक स्त्री मौन - दूसरी का रोकर कहना - बच्चे को न काटो - उसे ही दे दो - न्यायाधीश का फैसला - रोती हुई स्त्री को बालक सौंपना।
उत्तर - 4 : एक नगर में दो स्त्रियाँ रहती थी। दोनों ही आपस में पड़ोसन थी। उस में से एक स्त्री बहुत चालाक थी। उसी कोई भी संतान नहीं थी। दूसरी स्त्री बहुत ही अच्छे स्वभाव की और मिलनसार थी। निःसंतान वाली स्त्री उससे बहुत जलन करती थी।
एक दिन निःसंतान वाली स्त्री ने, दूसरी स्त्री का बच्चा चोरी कर लिया। बच्चे कहीं भी पता नहीं चला। बच्चे के गुम हो जाने से माँ बहुत दुखी हुई। बहुत खोजने के बाद बच्चा निःसंतान वाली के पास मिला। बच्चा मांगने पर उसने बच्चा नहीं दिया और बोला यह बच्चा मेरा है।
दोनों स्त्रियाँ न्यायधीश के पास पहुंची। फैसला करना मुश्किल हो गया था, बच्चा, किसका है ? न्यायधीश ने फैसला किया कि बच्चे को दो भागों में बाँट दो दोनों को दे दो।
यह सुनकर निःसंतान स्त्री चुपचाप खड़ी हो गई, पर बच्चे की असली माँ ने चिल्ला उठी, आप बच्चे को टुकड़े मत कीजिए, बच्चा स्त्री को दे दो। इस तरह मेरा बच्चा जिंदा तो रहेगा। न्यायधीश समझ गए, और बच्चे को असली माँ को दे दिया।
5. निम्नलिखित अपूर्ण कहानी को अपने शब्दों में पूर्ण कीजिए :
मौसम में ठंडक बढ़ने लगी थी। माँ सोचने लगी कि इस साल ढेर सारे स्वेटर बनाकर बेचने हैं जिससे अंकित की दसवीं कक्षा की फीस और पढ़ाई का खर्चा निकाला जा सके | अंकित के पापा नहीं थे । एक बड़ी बहन थी। अंकित अपने घर में समृद्धि लाने के लिए प्रतिदिन सोचता रहता है...
उत्तर - 5 : अंकित घर की गरीबी मिटाने में अभी उम्र में छोटा था, लेकिन अपनी पढ़ाई का खर्चा वह खुद निकालना चाहता था। स्कूल के बाद उसने धागा गूथने की दुकान में काम करने का सोचा। वह पढ़ाई करते करते नौकरी करने लगा। ऐसे कुछ साल बित गए। नौकरी करते करते उसने धागा गूथने का सारा काम सीख लिया और पैसे भी बचाने लगा।
फिर उसने सोचा मुझे अपनी दुकान खोलनी चाहिए। उसे मन मै विचार आया कि अगर मैं खुद धागा गूथ कर बेचू दो मुझे ज्यादा फायदा होगा। अब तो मैं दुकान का सारा काम भी संभाल सकता हूँ और अच्छे से दुकान चला सकता हूँ, तो उसने अपने शेठजी से बात की। शेठजी उसकी बात से सहमत हुए और पास के शहर में दुकान खोलने में उसकी मदद की।
अंकित की दुकार धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी। व्यापार और मुनाफा बढ़ने लगा। थोड़े ही सालो में अंकित धागो का बड़ा व्यापारी बन गया।
अंकित की माँ को आज अंकित पर गर्व था। अंकित ने अपनी मेहनत और लगन से अपने परिवार की गरीबी को मिटा दिया था।
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